गाँधी जी के सर्वोदयी विचार | Gandhi ji ke sarvoday Vichar

गाँधी जी के सर्वोदयी विचार | Gandhi ji ke sarvoday Vichar

गाँधी जी के सर्वोदयी विचार सर्वोदय सम्बन्धी विचार- महात्मा गांधी का ध्यान यद्यपि सामाजिक न्याय और सर्वोदय की और अवश्य था, किन्तु उनकी अन्तरात्मा एक व्यक्तिवादी की ही थी। उनके विचारानुसार व्यक्ति एक इकाई होते हुए भी मूलतः आत्मा है। गांधीवादी सर्वोदय के सिद्धान्तानुसार एक आदर्श समाज में न केवल मजदूरों की ही, बल्कि समाज के … Read more

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण पर पकाश डालिए। आर्थिक पुनर्जागरण प्राचीन काल में भारत का व्यापार उन्नति के शिखर पर था। उसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। मध्यकाल तक विदेशी आक्रमणकारियों और मुस्लिम शासकों ने इसे बुरी तरह लूटा और यहाँ की अपार धन सम्पदा अपने … Read more

गांधीजी के राजनीतिक विचार | Gandhi ji ke rajnitik Vichar

गांधीजी के राजनीतिक विचार | Gandhi ji ke rajnitik Vichar

गांधीजी के राजनीतिक विचारों की विवेचना कीजिए।  गाँधीजी के राजनीतिक विचार गाँधी जी के राजनीतिक विचारों को गाँधीवाद की संज्ञा दी जाती हैं। गाँधीवाद क्या है, इसकी सार्थकता कहाँ तक है, इसके मूल तत्व क्या है आदि प्रश्नों का उत्तर स्वयं देते हुए गाँधीजी कहते हैं कि- गाँधीवादी विचारधारा के नाम से कोई दर्शन नहीं … Read more

सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त | वर्तमान में संरक्षकता सिद्धान्त की उपादेयता

सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त | वर्तमान में संरक्षकता सिद्धान्त की उपादेयता

महात्मा गाँधी के संरक्षकता सिद्धान्त’ का वर्णन कीजिए। वर्तमान समय में इसका क्या महत्व है? सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त  गाँधीजी ने सम्पत्ति के स्वामित्व और प्रयोग के सम्बन्ध में भी अपनी अवधारणा के अनुसार, एक नये सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। वे पश्चिम में विकसित इस दृष्टि से समाजवादी साम्यवादी व्यवस्था के अनुसार, सम्पत्ति के सम्बन्ध … Read more

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार | Gandhi ji ke Ahinsa sambandhi Vichar

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार | Gandhi ji ke Ahinsa sambandhi Vichar

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार  गांधीजी और अहिंसा- गाँधीजी ने अहिंसा को सत्य-प्राप्ति का एक अनिवार्य साधन माना है अहिंसा की प्रेरणा उन्हें भारतीय और पाश्चात्य दोनों प्रेरणा-स्रोतों से प्राप्त हुई थी। भारत में बौद्ध तथा जैन धर्म का अहिंसा का सिद्धान्त तथा पाश्चात्य ईसाई धर्म का मूल धार्मिक ग्रंथ बाइबिल और उसमें भी ईसा … Read more

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए । अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त  आधुनिक राज्य को गाँधीजी एक आवश्यक बुराई ‘मानकर भी यह कहते हैं कि एक राज्य विहीन आदर्श समाज की स्थापना असम्भव है। इसके लिए वे एक अहिंसात्मक आदर्श राज्य की कल्पना करते हैं जिसे वे रामराज्य की संज्ञा देते हैं। गाँधीजी … Read more

नेहरू जी के राजनीतिक विचार

नेहरू जी के राजनीतिक विचार

नेहरू जी के राजनीतिक विचारों की विवेचना कीजिये। नेहरू जी के राजनीतिक विचार नेहरू का राष्ट्रवाद व अन्तर्राष्ट्रवाद – 1942 के कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने कहा था, “मैं राष्ट्रवादी हूँ और मुझे राष्ट्रवादी होने पर अभिमान है राष्ट्रीयता सम्बन्धी उनकी धारणा संकुचित नहीं है। उनका कहना था कि मात्रभूमि के प्रति भावुकता से भरे … Read more

लोकतांत्रिक समाजवाद की परिभाषा और भारतीय समाज पर इसके प्रभाव

लोकतांत्रिक समाजवाद की परिभाषा और भारतीय समाज पर इसके प्रभाव

लोकतांत्रिक समाजवाद की परिभाषा लिखिये और भारतीय समाज पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए। लोकतांत्रिक समाजवाद की परिभाषा लोकतांत्रिक समाजवाद- राजनीतिक क्षेत्र में लोकतंत्र और आर्थिक क्षेत्र में समाजवाद के बीच समन्वय ही लोकतान्त्रिक समाजवाद है। सेलर्स महोदय के अनुसार “लोकतांत्रिक समाजवाद एक आंदोलन है, जिसका लक्ष्य समाज में एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था स्थापित करना … Read more

नेहरू के पंचशील सिद्धांत एवं विदेश नीति | Nehru’s Panchsheel Agreement and foreign policy in Hindi

नेहरू के पंचशील सिद्धांत एवं विदेश नीति | Nehru's Panchsheel Agreement and foreign policy in Hindi

नेहरू के पंचशील सिद्धांत एवं विदेश नीति पर प्रकाश डालिए। नेहरू के पंचशील सिद्धांत एवं विदेश नीति पंचशील का सिद्धांत (Panchsheel Agreement)- नेहरू जी ने अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पंचशील का प्रतिपादन किया। पंचशील सिद्धांत अन्तर्राष्ट्रीय आचरण की एक संहिता थी। इसमें इस बात पर बल दिया गया था कि कोई भी राष्ट्र के घरेलू मामलों … Read more

नेहरू जी के समाजवाद तथा मनवतावाद

नेहरू जी के समाजवाद तथा मनवतावाद

नेहरू जी के मानवतावाद की विवेचना कीजिये। पं. नेहरू लोकतंत्र, समाजवाद तथा मनवतावाद का सम्मिश्रण करना चाहते थे। वे हिंसा से घृणा एवं अहिंसा के प्रति श्रद्धा रखते थे। वे ऐसे आदर्शवादी थे जो नैतिक मूल्यों पर बहुत बल देते थे। वे पीड़ित, शोषित एवं पददलित वर्ग के हितैषी थे। गन्दी बस्तियों को देखकर उन्हें … Read more