भारतीय पुनर्जागरण की प्रकृति की विवेचना कीजिए।

भारतीय पुनर्जागरण की प्रकृति की विवेचना कीजिए।

भारतीय पुनर्जागरण की प्रकृति की विवेचना कीजिए।  भारतीय चिन्तन पर पाश्चात्य प्रभाव- पाश्चात्य धारणाओं ने भारतीय समाज एवं चिंतन को बहुत अधिक प्रभावित किया। इन्हीं के प्रभाव से भारत में बुद्धिवाद, उदारवाद तथा पुनर्जागरण का युग आया। देशवासियों के मन में स्वायत्त राजनीतिक जीवन की इच्छा जाग्रत हुई। आधुनिक एशिया का प्रबुद्धिकरण, उसमें नवीन जीवन … Read more

भारतीय पुनर्जागरण एवं राष्ट्रवाद की पृष्ठभूमि | Background of Indian Renaissance and Nationalism in Hindi

भारतीय पुनर्जागरण एवं राष्ट्रवाद की पृष्ठभूमि | Background of Indian Renaissance and Nationalism in Hindi

भारतीय पुनर्जागरण एवं राष्ट्रवाद की पृष्ठभूमि पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।  पुनर्जागरण का अर्थ मानव प्रकृति पुत्र है। वह प्रकृति एवं लोगों के सम्पर्क से जितना अधिक ज्ञान प्राप्त करता है उतना अन्य किसी साधन से प्राप्त नहीं कर सकता। मानव एक बौद्धिक प्राणी है। उसकी बुद्धि विशेष ही उसे अन्य प्राणियों से विशिष्ट बना … Read more

राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार | Social thoughts of Raja Rammohan Roy in Hindi

राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार | Social thoughts of Raja Rammohan Roy in Hindi

राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार  राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार- राजाराममोहन राय भारत के सुधार अन्दोलन के अग्रदूत थे। उन्हें आधुनिक भारत का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने उस समय में प्रचलित कुरीतियों का विरोध किया और समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण समाज सुधारक आन्दोलनों का संचालन किया जिनका विवरण निम्नवत … Read more

राजा राममोहन राय के योगदान | Social thoughts of Raja Rammohan Roy in Hindi

राजा राममोहन राय के योगदान | Social thoughts of Raja Rammohan Roy in Hindi

राजा राममोहन राय के योगदान का मूल्यांकन कीजिये। राजा राममोहन राय के योगदान की दृष्टि से हम निसंदेह रूप से यह कह सकते हैं कि वे एक अत्यन्त दूरदर्शी एवं उच्च कोटि के बौद्धिक चरित्र के व्यक्ति थे। उन्होंने अपने गरिमापूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व से भारत में धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में नवजागरण … Read more

राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना क्यों की गई? इसके उद्देश्य एवं सिद्धान्त

राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना क्यों की गई? इसके उद्देश्य एवं सिद्धान्त

राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना क्यों की गई?  राजा राममोहन राय ने एक महान दृष्टा के रूप में समाज को आगे बढ़ाने के लिए अगस्त, सन् 1828 ई. को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की। इस संस्था में मूर्ति पूजा का कोई स्थान नहीं था। इस संस्था की स्थापना के सम्बन्ध … Read more

आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय

आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय आधुनिक भारत के जनक थे। विवेचना कीजिये।  राजा राममोहन राय को पट्टाभि सीतारमय्या ने भारतीय राष्ट्रीयवाद का दूत एवं आधुनिक भारत का जनक कहा है।  राजा राममोहन राय के प्रमुख विचार हैं- (1) राजनीति सम्बन्धी विचार- राजा राममोहन राय आधुनिक अर्थों में राजनीतिक विचारक नहीं थे, वे तो परिवर्तन और सुधार के … Read more

19वीं शताब्दी में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

19वीं शताब्दी में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

19वीं शताब्दी में स्त्रियों की दशा  19वीं सदी के प्रारम्भ में स्त्रियों की दशा दयनीय थी। पूरी तरह पर्दे में रहने के कारण उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ह्रास हो गया था। उन दिनों आमतौर पर असुरक्षा और अपराध की स्थिति थी, जिसके कारण पर्दा-प्रथा का अधिक कड़ाई से पालन होने लगा। हिन्दू समाज … Read more

स्वामी दयानन्द के राजनीतिक विचार, सामाजिक एवं धार्मिक विचार

स्वामी दयानन्द के राजनीतिक विचार

स्वामी दयानन्द के राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक विचारों को स्पष्ट कीजिए। स्वामी दयानन्द के राजनीतिक विचार स्वामी दयानन्द जी न केवल समाज सुधारक थे अपितु राजनीतिक विचारों में भी उनका विशिष्ट स्थान था। उन्होंने समाज में दलितों एवं नारी उद्धार के लिए संघर्ष किया तथा पुराने समय से चली आ रही कुप्रथाओं का विरोध करके … Read more

स्वामी दयानंद सरस्वती के राज्य सम्बन्धी विचार

स्वामी दयानंद सरस्वती के राज्य सम्बन्धी विचार

स्वामी दयानंद सरस्वती के राज्य सम्बन्धी विचारों की विवेचना कीजिए। स्वामी दयानंद सरस्वती के राज्य सम्बन्धी विचार- स्वामी जी ने समाज एवं व्यक्ति दोनों के सम्बन्धों को निर्धारित करने में राज्य को एक महत्वपूर्ण संगठन माना। उन्होंने राज्य के प्रयोजन, संगठन, शक्ति, नियन्त्रण तथा राज्य की सुरक्षा आदि विषयों पर अपने विचारों का प्रतिपादन किया। … Read more

दयानन्द सरस्वती के समाज सुधार सम्बन्धी विचार

दयानन्द सरस्वती के समाज सुधार सम्बन्धी विचार

दयानन्द सरस्वती के समाज सुधार सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण करें। स्वामी दयानन्द विश्व के अग्रणी समाज सुधारक थे। उनके सामाजिक तथा धार्मिक सुधारों ने देश के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान किया। हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों, पाखण्डों के विरुद्ध क्रान्ति का उद्घोष करने वाले वह सबसे प्रथम व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय समाज और धर्म … Read more