जवाहरलाल नेहरू के क्या आर्थिक विचार थे?

जवाहरलाल नेहरू के क्या आर्थिक विचार थे?

जवाहरलाल नेहरू के क्या आर्थिक विचार थे? पं नेहरू के आर्थिक विचार उनका कहना था कि राजनीतिक स्वतन्त्रता का कोई महत्व नहीं, यदि जनता को आर्थिक स्वतन्त्रता नहीं मिलती है। उनका विचार सही था, क्योंकि खाली पेट, नंगे शरीर तथा दिन रात के काम से चकनाचूर मानव स्वतंत्रता का क्या अर्थ समझ सकता है। उनका … Read more

भारतीय पुनर्जागरण के लिए उत्तरदायी तत्व

भारतीय पुनर्जागरण के लिए उत्तरदायी तत्व

भारतीय पुनर्जागरण के लिए कौन से तत्व उत्तरदायी थे? समीक्षा कीजिए। भारतीय पुनर्जागरण के लिए उत्तरदायी तत्व भारतीय पुनर्जागरण के लिए अनेक तत्व उत्तरदायी हैं। ये तत्व इस प्रकार हैं- (i) पाश्चात्य शिक्षा पाश्चात्य शिक्षा के प्रसार ने भारतीय पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रिटिश सरकार ने भारत में पाश्चात्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया। … Read more

गांधी जी के सत्याग्रह सिद्धान्त | Gandhi ji ke Satyagrah Siddhant

गांधी जी के सत्याग्रह सिद्धान्त | Gandhi ji ke Satyagrah Siddhant

गांधी जी के सत्याग्रह सिद्धान्त का परीक्षण कीजिए । सत्याग्रह का सिद्धान्त गांधी जी की राजनीति को विशेष और अपूर्व देन है। स्वयं गांधी जी के शब्दों में, “अपने विरोधियों को दुःखी बनाने के बजाय स्वयं अपने पर दुःख डालकर सत्य की विजय प्राप्त करना ही सत्याग्रह है। सत्याग्रह शक्तिशाली और वीर मनुष्य का शस्त्र … Read more

गाँधी जी के सर्वोदयी विचार | Gandhi ji ke sarvoday Vichar

गाँधी जी के सर्वोदयी विचार | Gandhi ji ke sarvoday Vichar

गाँधी जी के सर्वोदयी विचार सर्वोदय सम्बन्धी विचार- महात्मा गांधी का ध्यान यद्यपि सामाजिक न्याय और सर्वोदय की और अवश्य था, किन्तु उनकी अन्तरात्मा एक व्यक्तिवादी की ही थी। उनके विचारानुसार व्यक्ति एक इकाई होते हुए भी मूलतः आत्मा है। गांधीवादी सर्वोदय के सिद्धान्तानुसार एक आदर्श समाज में न केवल मजदूरों की ही, बल्कि समाज के … Read more

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण

भारतीय पुनर्जागरण के उत्तरदायी तत्व के रुप मे आर्थिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक पुनर्जागरण पर पकाश डालिए। आर्थिक पुनर्जागरण प्राचीन काल में भारत का व्यापार उन्नति के शिखर पर था। उसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। मध्यकाल तक विदेशी आक्रमणकारियों और मुस्लिम शासकों ने इसे बुरी तरह लूटा और यहाँ की अपार धन सम्पदा अपने … Read more

गांधीजी के राजनीतिक विचार | Gandhi ji ke rajnitik Vichar

गांधीजी के राजनीतिक विचार | Gandhi ji ke rajnitik Vichar

गांधीजी के राजनीतिक विचारों की विवेचना कीजिए।  गाँधीजी के राजनीतिक विचार गाँधी जी के राजनीतिक विचारों को गाँधीवाद की संज्ञा दी जाती हैं। गाँधीवाद क्या है, इसकी सार्थकता कहाँ तक है, इसके मूल तत्व क्या है आदि प्रश्नों का उत्तर स्वयं देते हुए गाँधीजी कहते हैं कि- गाँधीवादी विचारधारा के नाम से कोई दर्शन नहीं … Read more

सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त | वर्तमान में संरक्षकता सिद्धान्त की उपादेयता

सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त | वर्तमान में संरक्षकता सिद्धान्त की उपादेयता

महात्मा गाँधी के संरक्षकता सिद्धान्त’ का वर्णन कीजिए। वर्तमान समय में इसका क्या महत्व है? सम्पत्ति का प्रन्यासी सिद्धान्त  गाँधीजी ने सम्पत्ति के स्वामित्व और प्रयोग के सम्बन्ध में भी अपनी अवधारणा के अनुसार, एक नये सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। वे पश्चिम में विकसित इस दृष्टि से समाजवादी साम्यवादी व्यवस्था के अनुसार, सम्पत्ति के सम्बन्ध … Read more

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार | Gandhi ji ke Ahinsa sambandhi Vichar

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार | Gandhi ji ke Ahinsa sambandhi Vichar

गाँधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार  गांधीजी और अहिंसा- गाँधीजी ने अहिंसा को सत्य-प्राप्ति का एक अनिवार्य साधन माना है अहिंसा की प्रेरणा उन्हें भारतीय और पाश्चात्य दोनों प्रेरणा-स्रोतों से प्राप्त हुई थी। भारत में बौद्ध तथा जैन धर्म का अहिंसा का सिद्धान्त तथा पाश्चात्य ईसाई धर्म का मूल धार्मिक ग्रंथ बाइबिल और उसमें भी ईसा … Read more

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त

गाँधी के अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए । अहिंसात्मक राज्य के सिद्धान्त  आधुनिक राज्य को गाँधीजी एक आवश्यक बुराई ‘मानकर भी यह कहते हैं कि एक राज्य विहीन आदर्श समाज की स्थापना असम्भव है। इसके लिए वे एक अहिंसात्मक आदर्श राज्य की कल्पना करते हैं जिसे वे रामराज्य की संज्ञा देते हैं। गाँधीजी … Read more

नेहरू जी के राजनीतिक विचार

नेहरू जी के राजनीतिक विचार

नेहरू जी के राजनीतिक विचारों की विवेचना कीजिये। नेहरू जी के राजनीतिक विचार नेहरू का राष्ट्रवाद व अन्तर्राष्ट्रवाद – 1942 के कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने कहा था, “मैं राष्ट्रवादी हूँ और मुझे राष्ट्रवादी होने पर अभिमान है राष्ट्रीयता सम्बन्धी उनकी धारणा संकुचित नहीं है। उनका कहना था कि मात्रभूमि के प्रति भावुकता से भरे … Read more